June 22, 2011

मेरे महबूब

वो लटे तेरे बालो की 
कुछ कहती वो निगाहे तेरी

होठ तेरे सुर्ख लाल 
करते हैं कमाल 

वो चुलबुला अंदाज़ 
वो मीठी सी आवाज़

जब जब देखता हूँ तेरी हसीं 
उस दिन का सबसे खुशनसीब पल होता हैं 
वो मेरे लिए

चाहता हूँ कोई ऐसी जगह हो
जहाँ बस तू और मैं रहे 

हाथ मैं हाथ पकड़ कर चले
समंदर के पार 
चल ले एक नया अवतार 

हवाओ का करता हूँ मैं शुक्रिया 
क्योंकि जब -जब उड़ाती हैं ये तेरी जुल्फे 
तेरी खूबसूरती में चार चाँद लग जाते हैं

हसीनाये तो कई देखी मैंने
तुझसे हसीन ना देखी कही 

तारीफ़ और क्या करू तेरी अब 
बस इतना कहूँगा के 
अगर कोई पूछे मुझसे के
इश्क कैसे होता हैं 
तो बस इतना कहूँगा के
एक बार मेरे महबूब को देख लो 
समझ आ जायेगा कैसे होता हैं .  


(C.J)

(P.S:-This poem is for a special friend)

2 comments:

  1. Very nice CHirag!! Hindi poetry kam hi nazar aati hai, lekin jab aati, tab BY GOD, dil ko choo jaati hai! :)

    Scribblers Inc.

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