June 26, 2009

..aise....jaise...


वक्त हाथों से भाग रहां है ऐसे

हम वही खड़े रह गए हो जैसे

हवा के झोके कानो मैं कुछ कह रहे है ऐसे

हम कुछ समझ न पा रहे हो जैसे

आसमान ख़ुद झुक रहां है ऐसे

छुने को हाथ भी न बड़ा पा रहे हो जैसे

जिंदगी मुठी मैं सिमट आई है ऐसे

उसे भी पकड़ न पा रहे हो जैसे

किसी मोर पर आ कर खड़े है ऐसे

कदम भी साथ न दे रहे हो जैसे

किसी एक को पाने की खुशी है ऐसे

सबको खो देने का गम हो जैसे


P.s. I still have confusion in "aise" and "jaise".

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