May 6, 2009

भ्रष्टाचार

आज कल की है रीती
सब की चलती है राजनीती
सभी शासन के है भूके
एक दूसरे को गिराने की लिए है रुके

पैसे की है किम्मत
बस चलती दौलत की हुकूमत
भ्रष्टाचार है इनका जड़
जिसका नही है कोई तोड़

अगर होना हो परिक्षे मैं पास
तो दिखा दो इनको हरी घास
अगर चाहिए नौकरी
बस दे दो इनको पैसो की टोकरी
अपराधी को अगर करना है रिहा
तो पैसे बनते है इनकी दवा

सभी बनाना चाहते है अपनी सरकार
सभी जताना चाहते है अपना अधिकार
हाथ जोड़कर नेता है आते
और कई कसमे वादे है करते
पर जब मिलती है उन्हें कुर्सी
तो होती है शुरू इनकी चाप्रुसी

चंद पैसो के लिए
दंगा फसाद है ये करते
और देते है कई घाव
जो पैदा करता है तनाव
भूल जाता है भाई, भाई को
और गिरते है
लाशों के ढेर कई

भ्रष्टाचारी लोगों की उँगलियाँ डूबी रहती घी में
जब आम इन्सान जीता कठिनाई में

जाने कब ख़त्म होगा भ्रष्टाचार
क्या कभी होगा सभी लोगों में प्यार?



11 comments:

  1. nice one:)
    loved this line
    "Agar hona hai pariksha mein paas
    To dikha do inko hari ghaans"

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  2. सभी बनाना चाहते है अपनी सरकार
    सभी जताना चाहते है अपना अधिकार

    Sahi hai bhai... har jageh yehi baat hai - ghar me bhi ;)

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  3. lol...mujhshe hindi kabhi nahi hoga!!!

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  4. badhia zara
    i think i can call u by this name

    kafi acchi likhi hain

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  5. @ Chirag,

    M Sheena, but Zara will also be fine. The signature name..

    Thanks :D

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  6. I'm sure this must be a nice poem. My hindi sucks. Translate it sometime if you can :)

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  7. Translation might take away the charm..

    I am not sure whether I am good at translation

    Sowie!!

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  8. @ tan
    lol..ghar mein bhi huh :D

    @ zendagi

    'Zendagi Migzara' what does it mean??
    about your poem "Ekdam mast"..sahi hain !!

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  9. @ Hashan

    " Zendagi Migzara" means Life goes on..

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  10. ahaa! sheena is versatile writer too! hindi and english! :)

    wow! write malayalam too na! :)

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Comments are sexy.