आज कल की है रीती
सब की चलती है राजनीती
सभी शासन के है भूके
एक दूसरे को गिराने की लिए है रुके
पैसे की है किम्मत
बस चलती दौलत की हुकूमत
भ्रष्टाचार है इनका जड़
जिसका नही है कोई तोड़
अगर होना हो परिक्षे मैं पास
तो दिखा दो इनको हरी घास
अगर चाहिए नौकरी
बस दे दो इनको पैसो की टोकरी
अपराधी को अगर करना है रिहा
तो पैसे बनते है इनकी दवा
सभी बनाना चाहते है अपनी सरकार
सभी जताना चाहते है अपना अधिकार
हाथ जोड़कर नेता है आते
और कई कसमे वादे है करते
पर जब मिलती है उन्हें कुर्सी
तो होती है शुरू इनकी चाप्रुसी
चंद पैसो के लिए
दंगा फसाद है ये करते
और देते है कई घाव
जो पैदा करता है तनाव
भूल जाता है भाई, भाई को
और गिरते है लाशों के ढेर कई
भ्रष्टाचारी लोगों की उँगलियाँ डूबी रहती घी में
जब आम इन्सान जीता कठिनाई में
न जाने कब ख़त्म होगा भ्रष्टाचार
क्या कभी होगा सभी लोगों में प्यार?
nice one:)
ReplyDeleteloved this line
"Agar hona hai pariksha mein paas
To dikha do inko hari ghaans"
सभी बनाना चाहते है अपनी सरकार
ReplyDeleteसभी जताना चाहते है अपना अधिकार
Sahi hai bhai... har jageh yehi baat hai - ghar me bhi ;)
lol...mujhshe hindi kabhi nahi hoga!!!
ReplyDelete@ Saim, Tan & Freelancer
ReplyDeleteThanks :D
badhia zara
ReplyDeletei think i can call u by this name
kafi acchi likhi hain
@ Chirag,
ReplyDeleteM Sheena, but Zara will also be fine. The signature name..
Thanks :D
I'm sure this must be a nice poem. My hindi sucks. Translate it sometime if you can :)
ReplyDeleteTranslation might take away the charm..
ReplyDeleteI am not sure whether I am good at translation
Sowie!!
@ tan
ReplyDeletelol..ghar mein bhi huh :D
@ zendagi
'Zendagi Migzara' what does it mean??
about your poem "Ekdam mast"..sahi hain !!
@ Hashan
ReplyDelete" Zendagi Migzara" means Life goes on..
ahaa! sheena is versatile writer too! hindi and english! :)
ReplyDeletewow! write malayalam too na! :)