बंद आंखों से देखा है मैंने एक सपना
की चाहूं जिसे उसे कह सकूं अपना
आँखें खुली तो हकीक़त सामने दिखी
किस्मत ने आंसुओं से थी ज़िन्दगी लिखी
अकेली आई थी, अकेली ही जा रही हूँ
क्या है मेरा अपना जो उसे दे जाऊं
अपनी मुस्कान कहीं पीछे छोड़ आई हूँ
शायद उनकी पलकों पर बसाकर चली आई हूँ
आंखों से गिरता मोती सवाल करता है
क्या वो भी तेरी आहट को तरसा करता है
क्या वो भी तन्हाई में कभी रोया करता है
या यह नादान दिल तेरा यूँही आहें भरा करता है
रात के अंधेरे में तन्हाई का एहसास हुआ
सरकती हवा से लगा जैसे उसी ने छुआ
तब भी दिल से निकली उनके लिए बस एक दुआ
की पूरा हो जाए उनका हर एक सपना
चाहे वो जिसे उसे कह सके अपना
PS: trying hindi after a long time....also at my blog http://thehope-life.blogspot.com/
that's very good shweta
ReplyDeletei liked it very much
kaif acche words use kare hai tumane speically this lines
"
आंखों से गिरता मोती सवाल करता है
क्या वो भी तेरी आहट को तरसा करता है
क्या वो भी तन्हाई में कभी रोया करता है
या यह नादान दिल तेरा यूँही आहें भरा करता है"
sundar :) bahut achha likha hai tweets
ReplyDeleteBeautiful....Shweta dis one was so gud! excellent! luvd it! painful bt wonderful too! :)
ReplyDelete@chirag
ReplyDeletei don't think i am that gud at hindi poetry but trying actually...so thanks for lliking it :P
@kan
ReplyDeleteshukriya.... :D thanks babes..
@mav
ReplyDeletethankuuuuuuu so much...i am glad u guys liked it..
really nice :)
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