Hope You like it :)
चलती हुई हवाओं ने मुझ से पुछा
क्या सीखा तुने आज
रास्ता हैं लंबा, मैंने कहाँ
सीकते रहना हैं मुझे
बहती हुई नदी ने मुझ से पुछा
क्या हैं सीखा आज
पानी से हैं मिलती प्रेरणा
पर और भी हैं सीखना मुझे
उड़ती हुई पक्षीयों ने मुझ से पुछा
कुछ तोह सीखा होगा तुने आज
तेरे परों ने मुझे बहुत कुछ हैं सीखाया
लेकिन सीखना अब भी बाकी हें
किसान की आखों ने मुझे पुछा
क्या हें तुने सीखा
तेरे बदन के पसीने ने बहुत कुछ हैं सीखाया
पर मेरा सीखना जारी हें
हवाओं ने रुख बदल कर मुझे फिरसे पुछा
"तुने ज़रूर होगा बहुत कुछ सीखा ?"
"हाँ, मैंने बहुत कुछ हें सीखा ।"
पर मुझे हैं सीखते रहना.
hu huh wht including stephen haan.....dude ...i have a collection of hindi poems man.......
ReplyDeleteits good
u naaa ...idiot u r :p
ReplyDeletenice one .. n hindi poetry is tempting me really bad now.. let me try too :D
ReplyDeletenice attempt dude
ReplyDeletekuc jagah matra ki galati hai..aur kuch jagah words sahi tareeke se nahi likhe hai...
but acchi koshish hai vichar kafi acche hai tummhare
anurag... you??????????? and hindiiiiiiiii??????????
ReplyDeletelol... nice poem..and an amazing first attempt.. come up with more.. :D
yep... amazing... wow...! :)
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