December 27, 2013

रस्ता

य़ू तोह हम चले अकेले थे
राह में सहारे की सोच ना थी
तुम थाम लोगे दामन ऐसे
इसकी भी उम्मीद ना थी

थामोगे कुछ इस तरह
की फिर कुछ नही होगा तुम्हारे सिवा
ऐसा तोह हमने ख्यालों
में भी सोचने की गुस्ताखी नही की थी

राह में फिर चलते हुए
ना जाने किस मोड़ पर
तुमने हमसे अपनी मंज़िल बदल ली
सुबह की धूप ना जाने क्यू काले बादलों में बदल गयी

ठोकर लगी तोह होश आया
साथ जिसपे फक्र था, ना हमसफ़र बन पाया
फिर भी हम संभले
खुद ही अपनी मंज़िल की तलाश में चल दिये

आज़ लगता है मंज़िल करीब है
ख़ुशी की तलाश में निकले थे , ये बात का यकीन है
हमसफ़र कुछ ऐसे मिले जिनकी हॅसी कानों में ठहर गयी
ख़ुशी के मौसम से हमारी ज़िन्दगी सवर गयी  



 Smita

2 comments:

  1. Wow, beautiful language! Hindi? Maybe one day I'll learn it! :D

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  2. yes Camila, it's Hindi :)
    And yes, you can learn it :)

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