चाहा मैने एक दोस्त को,
भगवान ने मुझे दिखाया तू,
जो खुशियाँ बांटे इत्ना,
और निकाल दे आँखों से आँसू !
चाहा ज़िन्दगी मैं उजियाला,
जब अँधेरे मैं थे हम गुम,
दूर मे एक दिया जलाके आये,
खुशियों के दीपक दिखाते तुम.
मेरे पास ना है इतना पैसा ,
की जो कुछ भी तुम मांगे वो दूं,
पर जब तुम्हे अकेलापन महसूस होता है,
में तुम्हारे पास रहूँगा, वादा करता हूँ.
छोड़ने की सोचना ही मत, मेरे दोस्त,
तेरे बिना जी नहीं सकता मैं भी,
तुम जबसे आई हो मेरे ज़िन्दगी में,
हर एक दिन लगता है मुझे जैसे दिवाली.
भगवान ने मुझे दिखाया तू,
जो खुशियाँ बांटे इत्ना,
और निकाल दे आँखों से आँसू !
चाहा ज़िन्दगी मैं उजियाला,
जब अँधेरे मैं थे हम गुम,
दूर मे एक दिया जलाके आये,
खुशियों के दीपक दिखाते तुम.
मेरे पास ना है इतना पैसा ,
की जो कुछ भी तुम मांगे वो दूं,
पर जब तुम्हे अकेलापन महसूस होता है,
में तुम्हारे पास रहूँगा, वादा करता हूँ.
छोड़ने की सोचना ही मत, मेरे दोस्त,
तेरे बिना जी नहीं सकता मैं भी,
तुम जबसे आई हो मेरे ज़िन्दगी में,
हर एक दिन लगता है मुझे जैसे दिवाली.
Its my second hindi poem ever! so feel free to dissect and criticize! :)
perfect..!!!
ReplyDeletenice write up dear...every friend of your will be glad for having u in their life as the dear friend..!!!
as one of them, i am happiest to be your friend...!!!
nice work Leo..!!!
simple and sweet ... true to the core !! but not the depyh u usually have !
ReplyDeleteAgree wid Prats to the hilt!
ReplyDeleteWe are so used to the maginficent Leo that this turned out to be a li'l too simple fr ur class.
But nevertheless, the emotions behind it are beautiful, n sumtimes simple is da way to go!
Decent effort, keep dem coming! :)
a good one leo!
ReplyDeletekeep it up!
:)
good leo keep it up
ReplyDeleteimprovement is der
and i see u also improved in this poem
so good going