March 21, 2009

एक गाईका ( झलकीयां जामुनी के अतीत की ) [ The Edited Version After Censor Shocks]


[Note : Alright, I tried to edit as much as I could, but then the meaning is half drained. Nevertheless, as agreed, am posting it with 'stars' (asterix) instead of certain censored words. Hope, this one wouldn't be offending to any of WLs rules or the members. Yet, if it is, pull it off again !! What else can I say otherwise!! ]


“ तू भाग जा जामुनी, तू भाग जा, और यहाँ लौट कर फिर न आइयो बिटिया, यहाँ लौट कर फिर कभी ना आइयो । ”

“ ना माँ, मैं ना जाती तुझे छोड़ के । माँ । माँ, दरवाजा खोल माँ, दरवाजा खोल .....” १४ (14 ) साल की जामुनी की मासूम उंगलियाँ दरवाज़े को पीट कर खोलने का असफल प्रयास कर रहीं थी।

" ना रे मेरी रानी, ना । वक़्त कम है । बेटी तू भाग जा यहाँ से । भाग जा ।" बंद कमरे से आती हुईं माँ की लाचार चीखें, और बंद कमरे में हो रहा हैवानियत का नंगा नाच, जामुनी शायद हर रोज़ जीती आ रही थी।

"अरे *****, तेरी कुतिया को १४ (14) साल क्या घर पर सजाने के लिए खिलाया है मैंने? जो तू करती आई है आज तक, अब वह भी वही करेगी। धंधा करेगी, धंधा!! इतना ही प्यार था अपनी ***** से तो क्यूँ नहीं बेटा पैदा किया ? आज १४ साल का बेटा होता तो काम में हाथ चार करता ! ये ***** क्या करेगी? मैं मजदूरी करता हूँ, कोई कुबेर का खजाना तो ना लाये है तू अपने दहेज़ में ! चल सिखा दे उसे भी *****, आज ही रात में उसे ठाकुर के पास छोड़ना है, समझी ! कुतिया की औलाद !"
" ना रे । उसे छोड़ दे । छोड़ दे उसे राकेस ।।।।। मैंने १० (10) साल तक तुम्हारे लिए सबसे मुँह-काला किया, अब भी तो कर रही हूँ। पैसों की तंगी न होवेगी । रात में दो-दो कर लुंगी अब से । पर उसे छोड़ दे, छोड़ दे राकेस उसे "

"अरे वाह ! मुँह-काला किया तो क्या एहसान किया मारो पे ? साली, उन पैसों से तुने अपनी ही कुतिया का पेट भरा है। मेरे पर कोई एहसान न कियो। समझी ! और तू दो कर या चार, जामुनी तो धंधा करेगी । तू न सिखाती उसे तो मैं छोटे ठाकुर के पास छोड़ आता हूँ । दो दिन ***** नाचायेगा साली को, तीसरे दिन खुद ही नाचने लगेगी । साली *****!

"ना राकेस, न । मैं तेरी जूतियाँ चाट लुंगी, पर तू उसे छोड़ दियो । जामुनी थारो बिटिया भी तो होए है !"

"क्या ? क्या कहा रे ***** ? मारो बिटिया ? जी दिन इ पैदा हुई, उ दिन हम तुझको साफ़ कर दिए, लड़का ना दे सकू , तो बिटिया कभी हमार खून नाहीं । कभी नाहीं ! हमार खून से सिर्फ बछड़ा पैदा हुई, सिर्फ बछड़ा । इ ***** किसी और जात का खून हुई । हामार नाहीं ! "

सपाट । दरवाजा खुलते ही जामुनी की सासें थम जाती हैं । अब तक जो दृश्य वह आवाजों से अपने मन में जोड़ रही थी, किवाड़ खुलते ही वह बेपर्दा हो जाता है । उसकी माँ का आँचल ज़मीन में रुंद गया है । हरी चुड़ियाँ पहने माँ के सूखे हाथ, बापू के पाँव जकड़े हुए हैं । और माँ की आँखों में आज फिर से आसूं नहीं, बेबसी और लाचारी झलक रही है।

"वाह ! तू साली यहीं खड़ी है ! चल, छोटे ठाकुर के पास । वैश्या की बेटी वैश्या न बनेगी तो क्या पुजारिन बनेगी ??? "

"आ , बापू , दर्द हो रहा है बापू । कलाई छोड़ो बापू। माँ ।।।।।। माँ ।" और जामुनी की सिसकियाँ उसके योवन में सूख कर खो गयीं ।
आमिर की नज़रें जामुनी के चेहरे को एक-टूक घूर रहीं थीं। इस २८ (28) साल के पत्रकार ने कभी ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि इस २३ साल की आजाद लड़की के पंख बचपन में ही काट दिए गए हैं।

" तो फिर आज, आज आप इस मुकाम तक कैसे पहुंची? "

"१४ साल की बाली उम्र, और धंधा करने वाली मैं एक कुतिया ! २१ (21) साल का छोरा हर रात मुझे बिस्तर पर रौंदता, मेरे बचपन को अपना खिलौना बनाता, छोटे ठाकुर ! कभी-कभी तो उसके दोस्तों के सामने मुझे.....।।।।।" अपनी भीगी आवाज़ सँभालते हुए, " फिर एक दिन हवेली में आग लग गयी। सब भुसल-खाने की और भागने लगे । मेरे कमरे का दरवाजा अन्दर से बंद था । मुझे सिर्फ सुनाई दिया, 'भागो-भागो ! भुसल-खाने के रास्ते से बचो। आग लगी हवेली में, आग !' मुझे कुछ समझ में न आया मैं क्या करूँ। मैं वहीँ पड़ी रही, डरी हुई, थोडी मरी हुई। "

"हाँ, खोजो, यही कही पड़ी होगी। साली की लाश मेरे कमरे से मिलेगी तो मुसीबत हो जायेगी। खोजो ! "

छोटे ठाकुर की आवाज़ ने बेहोश जामुनी को झंझोड़ कर उठा दिया । उठी तो अपने कमरे के दरवाज़े को आधा टूटा, आधा गिरा पाया। धीमें कदमों से किसी तरह वह हवेली के पिछवाडे पहुंची। उधर ही एक पेड़ के नीचे खड़ी बैलगाड़ी में स्वयम को छुपा लिया। कब संध्या हुई, और कब बैलगाड़ी शहर पहुँच गयी, जामुनी को कुछ न मालूम पड़ा।

"अरे ऐ ! कौन है रे तू ? मेरी बैलगाड़ी में क्या रोटियाँ पका रही है? चल उतर ! "

जामुनी, अजनबी रास्तों में, हैरॉन परेशान सी खो जाती है। शेहेर की सड़क पर लेटी थी, कि एक वर्दी-वाला उसे छेड़ने लगता है। दो दिन कि भूखी, यह लड़की कुछ जान समेट कर भागती है। अचानाक माँ के आँचल जैसे स्पर्श से टकरा जाती है। ऊपर देखती है, तो एक हिंजड़ा उसके सामने खड़ा होता है।

" क्या हुआ री ? यह ***** पुलिसवाले भी ! हुह ! बचियों को भी नहीं बक्शते ! कौन है रे तू ? कहाँ से आई है ? पहले कभी इस इलाके में न देखा तुझे ? अरे रानी, तुझे तो बुखार है री ! "

रानी ।।।।। रानी ।।।।। मानो , माँ ने जामुनी को पुकारा हो !

"ऐ हवलदार, छोड़ दे इसे । यह अपनी है । भटक गयी थी । आ रानी, तू मेरे साथ चल ।"

और तब से वह हिंजड़ा मेरी ताई-माँ बन गया। कभी भीख मांग कर, कभी शादियों में बारातियों को लूटकर, कभी कहीं लड़का होने पर बधाई लेकर, मुझे पाला उसने। थोड़ा पड़ना लिखना सिखाया, थोड़ा संगीत में शिक्षा दी।और आज से दो ऋतू पहले ताई-माँ मेरे साथ बम्बई आई। और कल, कल सुबह सिनेमा में मेरी सबसे पहली फिलम, बतोड़ गाईका लगेगी।

हुह!

" और कुछ जानना चाहेंगे आप ? "

" हूँ ? हः।।।।। जी नहीं । " आमिर के गले में मानो स्वर ही सुख गयें हों।

अगले दिन , जामुनी पड़ती है ,

" कुछ हैरान, कुछ गुमा हुआ
कुछ खोया, कुछ जागा हुआ
कुछ प्यासा, कुछ जलता हुआ
कुछ रोता, कुछ छुपा हुआ
कुछ भीगा, कुछ खिलखिलाता हुआ
कुछ अमीर, कुछ मचलता हुआ
कुछ रंगीन, कुछ सुखा हुआ
कुछ जीता, कुछ मरता हुआ
कुछ बंजर, कुछ गाता हुआ सा अतीत है गाईका जामुनी जी का ।

"दैनिक जागरण, जून 5, 2001
लेखक : आमिर मुहम्मद
*****
एक मुसकुराहट काफ़ी है जीने के लिए,
एक हिंजड़ा भी काफ़ी है, माँ बनने के लिए.......

25 comments:

  1. And yeah, special thanks to Kingsley for pacifying me, and Tanmoy Dada for saving me the work of re-typing.

    *** TIN TIN **

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  2. hey sweety pie.. thank you for reposting it.. :)

    phew.. and it hasnt lost its charm.. as good and as strong a message..

    pat pat pat.. kudos!

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  3. very good
    a very strong and effective message u gave from this

    ReplyDelete
  4. Gud write! I didnt hav da opportunity to read da uncensored one, bt i knw dis is gud! A totally out of da box thought process and a maverick way of presenting it. dats wat u hav Ilashree! Keep writing! :)

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  5. I liked this version .. saved me from reading some harsh words early in morning !! really nice story as i said yesterday too ...

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  6. Ilashree,

    I loved every bit of it, relished it to the core!!!! Superb plot...wonderful portrayal of emotions... Even if I would have seen the uncensored version...I would have had no objections with it! My God...you have something in you and your writings...!

    You can surely do wonders girl!

    God bless ya...

    Cheers
    *PEACE*

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  7. it was as such ready for another madhur bhandarakar script **i like his movies**

    was so face to face with the sad fate of a girl...just because she was born as the fairer sex.

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  8. Kajal,

    Thanks Jaana for the pats, by back was straight up all night, and the pats are releaving (J/K)

    Nah! But thanks seriously, for re-reading the whole, all the again :)


    And Chirag,

    Thanks to you too, that you got the message, waise, Chirag, I like your name, sometime I might use it in some of my scripts :)

    ***JINGLES**

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  9. Maverick

    Cool dude, am all smiles that this one appealed to you, inspite of some editing shocks and all.

    I am happy the message retained :)

    **LOVE***



    And Prats, Jaana, am so happy that your Saturday morning is saved .

    ((( (( HUGS )) )))


    And Solitary Writer,

    I still don't know your name, and I hope that this Saturday you don't be solitary anymore, and that you get a lovely date perhaps :)

    And voha! thanks for the re-read, glad that you found it better.

    **SMILING STAURDAY****

    ReplyDelete
  10. Maverick

    Cool dude, am all smiles that this one appealed to you, inspite of some editing shocks and all.

    I am happy the message retained :)

    **LOVE***



    And Prats, Jaana, am so happy that your Saturday morning is saved .

    ((( (( HUGS )) )))


    And Solitary Writer,

    I still don't know your name, and I hope that this Saturday you don't be solitary anymore, and that you get a lovely date perhaps :)

    And voha! thanks for the re-read, glad that you found it better.

    **SMILING STAURDAY****

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  11. hey ,
    its me Ste....one of the founder of the Writers Lounge and a very popular person of WL.. as people here like including my name in their posts lol...especially their micro humour posts grrrgrrrr

    and yeah solitary writer is my blog name ehh

    ReplyDelete
  12. Aarthi,

    Jaana, that's so beautiful to know that the uncensored wouldn't have had disturbed you..... you hold a heart open to facts, CHEERIOS !!

    And I loved-loved,and once again, loved your feedback :)

    And yeap, thanks so much for the Lord's blessings, one day, one very soon I will be doing wonders , undoubtedly. Amen.

    **PEACE***

    Hullo there, Gulshan,

    Know what, whenever I read your name, I remember this song,

    "Gulshan mein phool khilte hain, shera main jab hum milte hain, main aur tu, tu.....uuuu...."

    hehe.... Lovely song, and a beatiful name :)

    And, by Heavens, what a comment, in some link to Madhur Bhandarkar's script.He's undoubtedly a great one.

    But now am sure, since you like him, and that you liked mine this one too, you will definately love my movies too. One more person confirmed !! :)

    Its a lovely - lovely Sarurday . Yay - yay. I feel like dancing.

    **FLOWERS***

    ReplyDelete
  13. Aarthi,

    Jaana, that's so beautiful to know that the uncensored wouldn't have had disturbed you..... you hold a heart open to facts, CHEERIOS !!

    And I loved-loved,and once again, loved your feedback :)

    And yeap, thanks so much for the Lord's blessings, one day, one very soon I will be doing wonders , undoubtedly. Amen.

    **PEACE***

    Hullo there, Gulshan,

    Know what, whenever I read your name, I remember this song,

    "Gulshan mein phool khilte hain, shera main jab hum milte hain, main aur tu, tu.....uuuu...."

    hehe.... Lovely song, and a beatiful name :)

    And, by Heavens, what a comment, in some link to Madhur Bhandarkar's script.He's undoubtedly a great one.

    But now am sure, since you like him, and that you liked mine this one too, you will definately love my movies too. One more person confirmed !! :)

    Its a lovely - lovely Sarurday . Yay - yay. I feel like dancing.

    **FLOWERS***

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  14. Ouuh! Ste... ahaan, I have read you quite and oft in many a posts, so true, specially in those micro-humours ! :)

    But hey, is Ste your real name?

    What does it mean by Ste, Ste?

    ** CHIRPS ***

    ReplyDelete
  15. Ouuh! Ste... ahaan, I have read you quite and oft in many a posts, so true, specially in those micro-humours ! :)

    But hey, is Ste your real name?

    What does it mean by Ste, Ste?

    ** CHIRPS ***

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  16. well

    Ste is my nick .....My name is Stephen....and my lounger friends have coined this nick Ste...Asbah nd sandeep thanks guys.....for this nick....lol


    *WINKS*

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  17. Though i didn't read the uncensored version of it..
    But I loved ths one..Gripping plot.. Chilling portrayal of agony, grief and the sad fate of the little gurl which somehow got a little better in the end..
    Gr8 goin gurl..loved readin you..
    Keep up the good wrk..

    *hugss*

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  18. I had missed it the first time...

    But it's really deep... thought-provoking... the post is pretty clear even with the stars..

    And this is the reason why I say there's a lot behind every star, pun intended! ;)

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  19. Well now i see u finally got hold of the reader...i was so curious to read it that i got hold of ur story on reader....and trust i loved it to core and even mentioned it in the shoutbox yest......censored or not u write magically.....keep writing :-)

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  20. and what about the members who cant READ hindi, we have an implied pact about it Ilashree, everyone who writes in hindi script either also provide a tranlation or transliteration for us Pakistani people :)

    Hope you'll consider and wont make me miss the fun! hmm

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  21. Gr8 post!!

    Had an opportunity to read the uncensored version as well...

    A very strong message again! You seem to be the quintessential feminist!

    Every post of yours gives me a reason to feel proud of being a woman!

    Keep going! :)

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  22. :) keep it coming ilashree :) , i didnt do anything much, just be yourself considering general sensibilities as well.. here or anywhere for that matter ;)

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  23. Hey Charzz and Akansha, thans you all liked it. And hey, Akansha, good pun ! :)


    Mysterious girl, so sorry, I must have missed your comment in the shout box.... but thanks so much Shona for your wonderful feedback here .

    ((( HUGS ))


    Neha, undoubtedly, I too NOW feel proud of being 'she'. Its so much a bliss. I 'll certainly keep up to your expectations in my further writes.

    ** TWINKLES and DIMPLES***

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  24. And Asbah, Jaana, I will very soon be back with its Urdu translation.....

    I wouldn't at all let you miss it.

    And am sorry, I am so new here, hence never knew that here in WL we have friends from the land of Allah too :)

    Next time, I will make sure, that my each Hindi read is followed with an Urdu translation :)

    ***Allah-Nighebaan **

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Comments are sexy.