January 14, 2009

कुछ कहता है दिल

कुछ कहता है दिल


मेरा दिल कुछ कहता है ,
हमेशा नए सवाल ये पूछता है

क्यो मिलकर जुदा होते है हम ,
क्यो आते है आंसू खुशियों के बाद ,
क्यो तडपाती है याद

मेरा दिल कुछ कहता है ,
हमेशा नए सवाल ये पूछता है

किस बिनाह पर हम करते है प्यार,
जबकि इसमे नही होता है कागज़ पर हस्ताक्षर

किस तरह से बनी है ये दुनिया ,
जिसमे हर दम बहती है खून की नदिया

मेरा दिल कुछ कहता है ,
हमेशा नए सवाल ये पूछता है

क्यो करते है हम अतीत को याद ,
क्यो करते है हम भविष्य की बात

क्यो करते है हम मुश्किल में भगवान् को याद ,
क्यो नही करते हम खुशियों में फरियाद


मेरा दिल कुछ कहता है ,
हमेशा नए सवाल ये पूछता है

क्यो करता है अमीर गरीब से बैर ,
क्यो जलता है गोरा काले से,
जबकि हम आए है एक ही सद्गुरु के थेले से

क्यो पंछियों के लिए नही है कोई सीमा रेखा,
क्यो इंसान को इंसान में ही बैर दिखा

मेरा दिल कुछ कहता है .....


(चिराग )

5 comments:

  1. dil ki gehraiyo mein dhoondoge,
    to jawab nazar aayenge...
    doosro ki aankho mein jhaankoge,
    to sailab nazar aayenge...
    jab pa jaoge saare jawab in sawalo ke,
    to na jaane kitne hazaro toote huye khwaab nazar aayenge!!!

    --- i hope i was able to relate to your poetry with these lines.. forgive me if i didnt make anysense..
    nice work.. keep writing ..and you will do wonders I am sure..
    by the way, welcome to the lounge..

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  2. @the pink orchid

    ya u relate with my poem some where by ur lines

    did u wrote this lines

    and thanks to add me in this blog

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  3. oh ya i wrote that..
    the moderators added you.. i am just a fellow member like how you are..

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  4. good one :) can you please put a bigger font wen u post a hindi write ...

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  5. @pretty me

    thanks
    i will put bigger font in my next poem

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Comments are sexy.